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42 की उम्र में 22 के लिएंडर पेस



बढ़ती उम्र क्या होती है ये शायद हमारे टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को नहीं पता... कोर्ट पर उनकी चुस्ती-फुर्ती आज भी उतनी ही नज़र आती है जितनी 1990 में जूनियर विंबलडन खेलते वक्त दिखाई देती थी... जूनियर विंबलडन के चैंपियन बनने की खबर मुझे तब मिली थी जब मैं 10 साल का था... हमारे घर में अखबार एक दिन की देरी से आता था क्योंकि तब गांव में अखबार का उसी दिन आना किसी जादू से कम नहीं होता था... ठीक तरह से याद नहीं लेकिन शायद आज अखबार था... बचपन से ही खेल का पेज मुझे बेहद आकर्षित करता था... और ब्लैक एंड व्हाइट में लिएंडर पेस की तस्वीर छपी थी... आज रंगीन पेपर में जब उनकी तस्वीर देखी तो 25 साल पुरानी लिएंडर की वहीं तस्वीर आंखों के सामने नाच गयी... उस वक्त उतनी समझ नहीं थी कि विंबलडन जीतने का मतलब क्या होता है.. लेकिन आज पता है कि विंबलडन जीतना किसी भी टेनिस खिलाड़ी के लिए कितना मायने रखता है... पेस 42 के हो चुके हैं... उनके साथ खेलना शुरु करने वाले की खिलाड़ी रिटायरमेंट ले चुके हैं... लेकिन पेस कोर्ट पर अभी भी ना सिर्फ डटे हुए हैं... बल्कि जीतने की भूख अभी भी उतनी ही नज़र आती है जितनी पहले थी... पेस ने ढेरों उतार चढ़ाव देखे.. 21 जून 1999 को डबल्स में वो दुनिया के पहले नंबर के खिलाड़ी बने थे... तब उनका करियर अपनी ऊंचाईयों पर था... और करीब 16 साल बाद उनकी इस वक्त रैंकिंग डबल्स में 27वीं हैं... सुनने में ये बात ज्यादा बड़ी ना लगती हो... लेकिन खेल प्रेमी जानते हैं कि टेनिस में 42 साल की उम्र में भी इस रैंकिंग तक बरकरार रहना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है... 1996 के अटलांटा ओलंपिक में पेस ने जब ब्रांज मेडल जीता था तब वो भारत के पहले खिलाड़ी बने जिसने व्यक्तिगत स्पर्धा में चार दशकों बाद मेडल विनर बने थे... क्रिकेट में जिस तरह पिच खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर डालती है... उसी तरह टेनिस में भी ये बात बेहद अहम है कि मैच किस तरह के कोर्ट पर खेला जा रहा है... लेकिन पेस के बारे में ये कहा जा सकता है कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वो हार्ड कोर्ट पर खेल रहे हैं.. ग्रास कोर्ट पर या क्ले कोर्ट पर... या फिर कारपेट कोर्ट पर... उन्होंने हर सरफेस वाले कोर्ट पर जीत दर्ज की है... डबल्स में पेस के नाम 8 ग्रैंड स्लैम हैं जबकि मिक्स्ड डबल्स में इस साल के विंबलडन टाइटल को मिलाकर 9 ग्रैंड स्लैम हो चुके हैं,... डबल्स में फ्रेंच ओपन और यूएस ओपन तीन-तीन बार जीते.... जबकि ऑस्ट्रेलियन ओपन और विंबलडन का खिताब एक-एक बार अपने नाम किया... वहीं मिक्स्ड डबल्स में सबसे ज्यादा चार बार विंबलडन का खिताब अपने नाम किया है... ऑस्ट्रेलियन ओपन तीन बार... फ्रेंच और यूएस ओपन एक-एक बार जीता है... यानि कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि भारत में टेनिस का मतलब ही लिएंडर पेस है... और शायद ये पेस का करिश्मा ही है कि आज सानिया मिर्ज़ा... रोहन बोपन्ना... सोमदेव बर्मन.. सुमित नागल जैसे खिलाड़ी भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चल रहे हैं... 

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