सैलरी का महीनों नहीं आना और पत्रकार का मर जाना - 3
अमित पांडे के बड़े भाई से बात हुई... अमित की मौत टाइफायड से हुई.. गोरखपुर ले जाकर उन्होंने इलाज कराया लेकिन बीमारी तबतक काफी बढ़ चुकी थी.. और रिकवरी नहीं हो पायी... उन्होंने ये भी बताया कि सहारा में अमित के साथ जो लोग काम करते थे.. उन्होंने काफी मदद की.. लेकिन होनी को जो मंज़ूर था वही हुआ... सहारा प्रबंधन के बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं बोला.. हां अमित के सीनियर्स और जूनियर्स की तारीफ की... अमित की शादी अभी नहीं हुई थी... घर में मां-बाप के अलावा तीन भाई हैं... अमित घर में सबसे छोटे थे... सहारा के कुछ लोगों से बात हुई.. उन्होंने ने भी यही कहा कि हो सकता है पैसों की कमी की वजह से अमित ने पहले इलाज में लापरवाही बरती... क्योंकि टाइफायड के लक्षण भी वायरल बुखार की तरह ही होते हैं... इसीलिए अमित उसे टालते रहे.. बाद में जब उनके घरवालों को पता चला तो इलाज कराने गोरखपुर ले तो गए लेकिन तबतक बीमारी काफी बढ़ चुकी थी.. वहां से लखनऊ भी गए... डॉक्टरों ने कोशिश तो की लेकिन वो अमित को बचा नहीं पाए... क्योंकि तबतक टाइफायड ने अमित के ज्यादातर अंगों को नाकाम कर दिया था... यानी हो सकता है कि अगर नौकरी ठीक चल रही होती... सैलरी टाइम पर आ रही होती तो... अमित अपनी बीमारी पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं करते... उनके बड़े भाई को हमने मदद करने की बात भी कही.. तो उनका कहना था कि अब जब अमित ही नहीं रहा तो... किसके लिए मदद लें.... खैर इस घटना से हम सबको सबक लेना चाहिए... और ऐसी कोशिश करनी होगी कि आगे ऐसा किसी के साथ ना होने दें....
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