माफ क दी हे छठी मइया
हमरा के माफी दे दी छठी मइया... रउरा पर्व में घरे ना आवे खतिरा माफ क दीं... राउर गीत ना गावे खतिरा माफ क दीं... सांझी खान घाट पर ना आवे खातिर माफ क दीं... सबेरे अरघ ना देवे खतिरा माफ क दीं... लिस्ट बहुत लंबा बा हे छठी मइया... हम त इ हे कहेम की सबकुछ खतिरा माफ क दीं... रउरा जान तानी नूं की हम काहे ना अइनी ह... रउरा इ हो जान तानी की घाट पर सफाई करे... केला के थम गाड़े... तिनकोनी रंग बिरंगा पताका लगावे हम काहे ना अइनी ह.. अब का कहीं... अपना देस से हम बाहर काहे बानी... इ हो रउरा जान तानी... सच बताईं हे छठी मइया... हमरा बड़ा मन करेला अपना गांव में आवे के... माटी के उ महक सूंघे के.. जौन हमरा खून में बसल बा... जब भी उदास होनी त माटी के उ सुगंध हम महसूस करेनी... लेकिन का करी हे माई... लोग रउरा नाम पर वोट मांगेला... त केहू रउरा नाम से भी चिढ़ेला... लेकिन रउरा त माई हयीं... सब राउर बच्चा ह लोग... हम जान तानी की माई कबो अपना बच्चा लोग में भेद ना करेला... लेकिन का कहल जाव.. पूत त कपूत होइए जाला... खैर कौनो बात ना... लेकिन हम फेर रउरा से माफी मांगेम... पापी पेट के भूख मिटावे खतिरा... गांव छोड़ही के पड़ल... अपना बाबूजी के सपना पूरा करे खतिरा माटी से दूर होखे के पड़ल... रउरा तो जानते होखेम.. की केतना दुख भइल होई आपन ज़मीन छोड़े के बेरी... लेकिन का करीं... पेट खतिरा दिल के बात ना मननी... आउरी कौनो चारा भी ना रहे हे माई... हम आपन जन्म देवे वाला माई के फाटल साड़ी में कइसे देख ती.. कइसे हम अपना दिल के मनवती की.. माई हमरा राती खान खिया के सुता देवे ले... का जाने उ खइलख हिया की ना... लेकिन कबो हम ओकरा चेहरा पर दुख ना देखनी... बेटा भरपेट खाके सुत गइल.. ओकरा से बढ़ के कौनो खुशी माई खातिर ना होला.. त बोली ना हे छठी माई.. हमार का गलती रहे... गलती त राउर बिगड़ल बच्चा सन के बा.. जौन खाली आपन घर देख तारन सन... ओकरा गांव में... ओकरा जिला में का होता ओसे कौनो मतलब नइखे.. लेकिन एगो बात बा.. पांच साल में एक बार राउर नाकारा बेटा सन गांव में ज़रूर आवेलन सन... हम जानेनी की ओकर हंसी... नकली हटे.. उ त हमनी पर हंस ता.. लेकिन का करी ऐ माई... हम त ओकरा खिलाफ वोट दे देम.. लेकिन जेकरा पढ़े लिखे खतिरा उ कुछू ना कइलख... जे जानते नइखे की बिजली केकर नाम ह... टीवी त ओकरा खतिरा सपना से कम नइखे... उ बेचारा त ओही हंसी पर वोट दे आवेला.. ओकरा खतिरा त इहे बड़ बात बा की... खद्दर के उज्जर कुर्ता पायजामा पहिनले बड़ आदमी ओकरा दुआर पर आ गइल... ऐ माई... अब उ का जाने की जौन बीपीएल कार्ड के पैसा आ राशन ओकरा मिले के चाही... उ तो इहे उज्जर कुर्ता पायजामा वाला हड़प क जाला... अब रउरे बतायीं माई.. हम का करे अपना गांवे आईं... हमार आपने पटीदार.. हमार अपने खून... इ ना सोचे ला की भइया चाहे चाचा के बढ़ोत्तरी हो ता.. त तनी हमूं कुछ अइसन करीं कि उनकरे जइसन हो जायीं... उ त सीधे सोचेला की कइसे हम इनकर नुकसान क दीं... उ फिर से परेशान हो जास.. कइसे उनकर टंगड़ी ध के खींच दिआव की.. उ उल्टे मुंहे गिर जास... ऐहीसे हे छठी मइया... हम रउरा से माफी मांग तानी... कोशिश हम बहुत कइनी की लोग के सोच बदल जाव... लेकिन सब इहे सोचेला लोग की गांव में त ऐतना लोग बा.. केहू बदल जायी.. हम काहे बदलीं... सब लोग चाहे ला की वीर कुंवर सिंह पैदा होखस... लेकिन अपना घर में ना... पड़ोस के चाचा के घर में... ऐ छठी मईया अपना इहो बेटा के नालायक समझ लेम आ जइसे दोसरा लोग माफ कदेवेनी वइसे हमरो के माफी दे देम...
ऐसन गत सुन के कईसे ना माफ़ करिबे छठी मैया ...हमहूँ बिहारी नईखे ...मगर..छठ पे खूब याद आवेला उ चंपारण का घाट ...सखी लोग से बतियावत हेने से होने घुमत रहनी हा ...औरी का कहे ...!!
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