अमीर- गरीब
बहुत व्यस्त रहीं दिन भर, बात करने तक की फुरसत नहीं थी तुम्हारे पास
हां थी तो, गरीबों के लिए मंदिर में भंडारा कराना कोई छोटा-मोटा काम है क्या - मिसेज शर्मा ने पति की तरफ आंखें तरेरते हुए कहा
अरे ताना नहीं दे रहा था, तुम भी खामखां ही, मैंने तो इसलिए कहा क्योंकि खन्ना कह रहा था कि पत्नी हो तो तुम्हारे जैसी हो, गरीबों की मदद के लिए हर महीने कुछ ना कुछ करती रहती हैं - मुस्कुराते हुए शर्मा जी ने पत्नी की तरफ देखकर कहा
क्या, खन्ना जी ने ऐसा कहा
हां भई, चाहो तो फोन करके पूछ लो उससे
मैं क्यों पूछूं, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, वैसे और क्या कहा खन्ना जी ने ?
वो कह रहा था कि अगर भाभी ऐसा ही करती रहीं तो आने वाले आरडब्लूए के चुनाव में खड़ी हो सकती हैं, गरीबों के लिए किया जा रहा उनका काम जिता देगा उन्हें
अरे, मेरे मन की बात उन्होंने कैसे जान ली, अच्छा चलो सो जाओ, वैसे भी बहुत थकी हुई हूं, गुडनाइट
गुडनाइट बोलकर शर्मा जी ने लाइट ऑफ कर दी
अरे घंटी बज रही है, दरवाजा क्यों नहीं खोलते, महारानी जी आयी होंगी - मिसेज शर्मा ने बाथरूम से चिल्लाते हुए कहा
नमस्ते, भैया, चंदा ने घर के भीतर आते हुए कहा
नमस्ते.... भाभी तुम्हारी भड़की हुई हैं, देर से क्यों आती हो
भैया, जो पैसे देंगे वो काम तो कराएंगे ही ना, यहां तो.... चंदा ने बात अधूरी छोड़ दी
ऐ चंदा, ऐसा नहीं चलेगा, तेरे नखरे बढ़ते जा रहे हैं, तेरा सोसायटी में घुसना बंद करवा दूंगी
भाभी, थोड़ी देर ही तो हुई है, और आप पैसे भी तो कम देती हैं, इतने ही काम के लिए बाकी जगहों पर 12 सौ रूपए लेती हूं, और आपने पिछले साल 100 रूपए बढ़ाकर 8 सौ रूपए महीना किया है
तुम लोग लुटेरे हो गए हो, काम करने के बहाने लूटते हो, दूसरे कितना देते हैं मुझे मतलब नहीं है, खैरातखाना नहीं खोल रखा है मैंने यहां
शर्मा जी बेचारे दुविधा में फंसे थे, बीवी का भंडारे वाला रूप सही है या फिर कामवाली पर दो सौ रूपए महीने के लिए चिल्लाने वाला
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