बेटा पाकिस्तान ज्यादा चें चें ना करो बलूचिस्तान पर वरना आधे रह जाओगे
बलूचिस्तान अलग हुआ तो आधा पाकिस्तान साफ
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान का नाम क्या लिया.. पाकिस्तान में हंगामा मच गया... अब पाकिस्तानी नेताओं और सेना को डर लगने लगा है कि कहीं बलूचिस्तान हाथ से न निकल जाए... पिछले कुछ साल में बलूचों ने आज़ादी की अपनी जंग तेज़ कर दी है.. अगर बलूचिस्तान हटा तो पाकिस्तान आधा रह जाएगा...
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बार किसी समारोह में कहा था एक बार जब उन्हें पता चल जाएगा कि भारत ने अपना गियर रक्षात्मक से आक्रामक कर दिया है तो वो समझ जाएंगे कि अब इसे झेलना उनके लिए नामुमकिन है, अगर आप एक मुंबई करोगे तो बलूचिस्तान को खो दोगे, इसमें कोई परमाणु युद्ध नहीं होगा, अगर आप तरीके जानते हो तो हम आपसे बेहतर तरीके जानते हैं, ये अजित डोभाल का तब का बयान है जब वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नहीं हुआ करते थे.. तब उन्होंने पाकिस्तान को बलूचिस्तान की अहमियत बतायी थी.. लेकिन पाकिस्तान को सीधी बात समझने की आदत है हीं नहीं... आखिर बलूचिस्तान पर जबरन कब्ज़े का उसे गुमान जो है..
बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी कब्ज़ा गैर-कानूनी
1948 में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर जबरदस्ती कब्ज़ा किया... एक आज़ाद मुल्क को हथियारों के दम पर अपना गुलाम बना लिया.. 68 साल बीत गए बलूचों को अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ते... अगर वो ये लड़ाई जीत जाते हैं.. तो पाकिस्तान का नक्शा एक बार फिर बदल जाएगा... बलूचिस्तान अलग हुआ.. तो आधा पाकिस्तान साफ हो जाएगा... पाकिस्तान से अलग होने के लिए जिस तरह बलूचिस्तान ने जंग छेड़ रखी है.. अगर वो उसमें कामयाब हुआ तो 1971 के बाद पाकिस्तान का नक्शा एक बार फिर बदल जाएगा... और इस बार का बदलाव पाकिस्तान के लिए बड़ा ज़ख्म दे जाएगा.. क्योंकि पाकिस्तान के नक्शे से बलूचिस्तान का अलग होने का मतलब है.. आधे पाकिस्तान का साफ हो जाना...
बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर ना-पाक नज़र
दरअसल बलूचिस्तान चार बड़ी रियासतों मकरान.. खरान.. लास बेला और कलात को मिलाकर बनाया गया.. और ये पूरे पाकिस्तान का करीब 47 फीसदी इलाका है.. जाहिर है नक्शे से बलूचिस्तान कटा तो.. पाकिस्तान अपने आधे हिस्से से हाथ धो बैठेगा, पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान को खोने का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि उसकी 47 फीसदी ज़मीन चली जाएगी.. बल्कि आर्थिक तौर पर भी उसे बड़ा झटका लगेगा.. क्योंकि बलूचिस्तान कमाई के नज़रिए से भी पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है.. पूरे पाकिस्तान का एक तिहाई प्राकृतिक गैस यहीं से निकलता है... तेल के भी बड़े भंडार यहां मौजूद है.. सैकड़ों खानों से यहां सोना निकाला जा रहा है... तांबे के भी बड़े भंडार हैं... यूरेनियम भी यहां की धरती में पाया जाता है..
लेकिन पाकिस्तान अब तक सिर्फ इसको दोहन ही करता आ रहा है.. बलूच लोगों के लिए इससे ज्यादा दुखदायी बात और क्या होगी कि इलाके में गैस मिलने के करीब तीस साल बाद उन्हें गैसा की सप्लाई शुरु की गयी.. जबकि पाकिस्तान ने 1955 से ही उसे बेचना शुरु कर दिया था..
पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा राज्य है बलूचिस्तान
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के 10 सबसे पिछड़े ज़िलों में से 8 बलूचिस्तान के हैं.. पूरे पाकिस्तान की 47 फीसदी साक्षरता की दर के मुकाबले बलूचों की साक्षरता दर महज़ 22 फीसदी है.. पूरे पाकिस्तान में 86 फीसदी लोगों को मिल रहे पीने का पानी के मुकाबले बलूचिस्तान के सिर्फ 20 फीसदी लोगों को ही पीने का पानी उपलब्ध है.. अंग्रेज़ों ने बलूचिस्तान को भारत और पाकिस्तान से भी पहले आज़ाद देश घोषित कर दिया था.. 11 अगस्त 1947 बलूचिस्तान आज़ाद हो चुका था.... उस समय राजकुमार यार मोहम्मद खान का बलूचिस्तान पर शासन था.. और उनकी राजधानी थी कलाट.. मोहम्मद अली जिन्ना..यार मोहम्मद खान से मिले.. उन्हें कहा कि मज़हब के नाम पर वो पाकिस्तान के साथ मिल जाएं.. जिन्ना के इस प्रस्ताव को बलूचिस्तान की संसद ने एक सिरे से खारिज कर दिया..
27 मार्च को बलूच मनाते हैं ब्लैक डे
वो तारीख थी 27 मार्च 1948... जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान को अपने में मिला लिया.. पाकिस्तान ने 27 मार्च 1948 को गैर कानूनी तरीके से बलूचिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया.. दुनियाभर में जहां भी बलूच लोग हैं.. वो हर साल 27 मार्च को काले दिन के रूप में मनाते हैं... इस दिन बलूचिस्तान की ज़मीन तो पाकिस्तान ने हड़प ली लेकिन वहां के लोगों को अपने साथ ना कर सका.. आज भी बलूच अपने आप को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते हैं.. बलूच ताकतवर ना हो जाएं इसलिए पाकिस्तानी सेना यहां अत्याचार करती है... सरकार की ओर से सेना को वहां जुल्म करने की छूट मिली हुई है... सेना जो चाहे वो करती है... बलूचों को जान से मारना और उनके घरों को जलाकर राख कर देना यहां आम बात है..
बलूचिस्तान में अल्पसंख्यक हुए बलूच
पाकिस्तान.. बलूचिस्तान पर चौतरफा वार कर रहा है... पाकिस्तानी सेना आए दिन नौजवानों को बिना कुछ कहे उठा ले जाती है... रोज़ाना कहीं ना कहीं सेना बलूचों को मार रही है... अब तो हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं.. बलूच अपने ही प्रदेश में अल्पसंख्यक बन चुके हैं.. पाकिस्तान के कब्ज़े से पहले बलूचिस्तान में बड़ी आबादी शिया मुसलमानों की थी.. लेकिन पिछले दस सालों में पाकिस्तानी सेना करीब 20 हज़ार बलूचों को मार चुकी है... एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 21 हज़ार बलूच युवक लापता हैं.. पाकिस्तान जानबूझकर यहां पंजाब और दूसरे इलाकों से लाकर लोगों को बसा रहा है... नतीजा ये हुआ कि बलूचिस्तान में बलूच लोग ही अल्पसंख्यक हो गए हैं.. बड़ी आबादी अब सुन्नी मुसलमानों की हो गयी है..
पाकिस्तान का बलूचों पर अत्याचार
ज़ाहिर है पाकिस्तान की ये नापाक चाल बलूच लोगों की भी समझ में आ रही है.. क्योंकि बलूच जानते हैं कि उनकी ये ज़मीन पाकिस्तान के लिए सोने की चिड़िया है... गैस और तेल के बड़े भंडारों के साथ सोने और तांबे जैसी कीमती धातुओं के यहां भंडार हैं.. पाकिस्तान उनकी ज़मीन से अपना खज़ाना भर रहा है.. लेकिन बलूचों को एक चवन्नी भी नहीं दी जा रही.. चीन की मदद से पाकिस्तान यहां के प्राकृतिक संसाधनों को निकाल रहा है.. ज़ाहिर है जो इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ हो... गैस और तेल के बड़े भंडार हों... सोने और तांबे जैसी धातुओं की खानें हों.. तो वहां से कितनी कमाई हो रही होगी.. लेकिन विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं किया गया.. बलूचों की हालत तो उससे भी खराब हो गयी है.. जब वहां अंग्रेज़ों की हूकूमत थी..
ज़ाहिर है पाकिस्तान के इन्हीं ज़ुल्मों सितम ने बलूचों को इतना नाराज़ कर दिया है कि वो अपनी आज़ादी के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हट रहे...बलूचिस्तान का भारत से नाता बेहद पुराना है... आज़ादी के पहले से ही बलूच.. हिंदुस्तान को अपना करीबी मानते रहे हैं.. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाल किले से बलूचिस्तान का नाम लिया.. तो दुनियाभर में मौजूद बलूच नेताओं ने इसके प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान का नाम क्या लिया.. पाकिस्तान में हंगामा मच गया... अब पाकिस्तानी नेताओं और सेना को डर लगने लगा है कि कहीं बलूचिस्तान हाथ से न निकल जाए... पिछले कुछ साल में बलूचों ने आज़ादी की अपनी जंग तेज़ कर दी है.. अगर बलूचिस्तान हटा तो पाकिस्तान आधा रह जाएगा...
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बार किसी समारोह में कहा था एक बार जब उन्हें पता चल जाएगा कि भारत ने अपना गियर रक्षात्मक से आक्रामक कर दिया है तो वो समझ जाएंगे कि अब इसे झेलना उनके लिए नामुमकिन है, अगर आप एक मुंबई करोगे तो बलूचिस्तान को खो दोगे, इसमें कोई परमाणु युद्ध नहीं होगा, अगर आप तरीके जानते हो तो हम आपसे बेहतर तरीके जानते हैं, ये अजित डोभाल का तब का बयान है जब वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नहीं हुआ करते थे.. तब उन्होंने पाकिस्तान को बलूचिस्तान की अहमियत बतायी थी.. लेकिन पाकिस्तान को सीधी बात समझने की आदत है हीं नहीं... आखिर बलूचिस्तान पर जबरन कब्ज़े का उसे गुमान जो है..
बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी कब्ज़ा गैर-कानूनी
1948 में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर जबरदस्ती कब्ज़ा किया... एक आज़ाद मुल्क को हथियारों के दम पर अपना गुलाम बना लिया.. 68 साल बीत गए बलूचों को अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ते... अगर वो ये लड़ाई जीत जाते हैं.. तो पाकिस्तान का नक्शा एक बार फिर बदल जाएगा... बलूचिस्तान अलग हुआ.. तो आधा पाकिस्तान साफ हो जाएगा... पाकिस्तान से अलग होने के लिए जिस तरह बलूचिस्तान ने जंग छेड़ रखी है.. अगर वो उसमें कामयाब हुआ तो 1971 के बाद पाकिस्तान का नक्शा एक बार फिर बदल जाएगा... और इस बार का बदलाव पाकिस्तान के लिए बड़ा ज़ख्म दे जाएगा.. क्योंकि पाकिस्तान के नक्शे से बलूचिस्तान का अलग होने का मतलब है.. आधे पाकिस्तान का साफ हो जाना...
बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर ना-पाक नज़र
दरअसल बलूचिस्तान चार बड़ी रियासतों मकरान.. खरान.. लास बेला और कलात को मिलाकर बनाया गया.. और ये पूरे पाकिस्तान का करीब 47 फीसदी इलाका है.. जाहिर है नक्शे से बलूचिस्तान कटा तो.. पाकिस्तान अपने आधे हिस्से से हाथ धो बैठेगा, पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान को खोने का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि उसकी 47 फीसदी ज़मीन चली जाएगी.. बल्कि आर्थिक तौर पर भी उसे बड़ा झटका लगेगा.. क्योंकि बलूचिस्तान कमाई के नज़रिए से भी पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है.. पूरे पाकिस्तान का एक तिहाई प्राकृतिक गैस यहीं से निकलता है... तेल के भी बड़े भंडार यहां मौजूद है.. सैकड़ों खानों से यहां सोना निकाला जा रहा है... तांबे के भी बड़े भंडार हैं... यूरेनियम भी यहां की धरती में पाया जाता है..
लेकिन पाकिस्तान अब तक सिर्फ इसको दोहन ही करता आ रहा है.. बलूच लोगों के लिए इससे ज्यादा दुखदायी बात और क्या होगी कि इलाके में गैस मिलने के करीब तीस साल बाद उन्हें गैसा की सप्लाई शुरु की गयी.. जबकि पाकिस्तान ने 1955 से ही उसे बेचना शुरु कर दिया था..
पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा राज्य है बलूचिस्तान
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के 10 सबसे पिछड़े ज़िलों में से 8 बलूचिस्तान के हैं.. पूरे पाकिस्तान की 47 फीसदी साक्षरता की दर के मुकाबले बलूचों की साक्षरता दर महज़ 22 फीसदी है.. पूरे पाकिस्तान में 86 फीसदी लोगों को मिल रहे पीने का पानी के मुकाबले बलूचिस्तान के सिर्फ 20 फीसदी लोगों को ही पीने का पानी उपलब्ध है.. अंग्रेज़ों ने बलूचिस्तान को भारत और पाकिस्तान से भी पहले आज़ाद देश घोषित कर दिया था.. 11 अगस्त 1947 बलूचिस्तान आज़ाद हो चुका था.... उस समय राजकुमार यार मोहम्मद खान का बलूचिस्तान पर शासन था.. और उनकी राजधानी थी कलाट.. मोहम्मद अली जिन्ना..यार मोहम्मद खान से मिले.. उन्हें कहा कि मज़हब के नाम पर वो पाकिस्तान के साथ मिल जाएं.. जिन्ना के इस प्रस्ताव को बलूचिस्तान की संसद ने एक सिरे से खारिज कर दिया..
27 मार्च को बलूच मनाते हैं ब्लैक डे
वो तारीख थी 27 मार्च 1948... जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान को अपने में मिला लिया.. पाकिस्तान ने 27 मार्च 1948 को गैर कानूनी तरीके से बलूचिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया.. दुनियाभर में जहां भी बलूच लोग हैं.. वो हर साल 27 मार्च को काले दिन के रूप में मनाते हैं... इस दिन बलूचिस्तान की ज़मीन तो पाकिस्तान ने हड़प ली लेकिन वहां के लोगों को अपने साथ ना कर सका.. आज भी बलूच अपने आप को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते हैं.. बलूच ताकतवर ना हो जाएं इसलिए पाकिस्तानी सेना यहां अत्याचार करती है... सरकार की ओर से सेना को वहां जुल्म करने की छूट मिली हुई है... सेना जो चाहे वो करती है... बलूचों को जान से मारना और उनके घरों को जलाकर राख कर देना यहां आम बात है..
बलूचिस्तान में अल्पसंख्यक हुए बलूच
पाकिस्तान.. बलूचिस्तान पर चौतरफा वार कर रहा है... पाकिस्तानी सेना आए दिन नौजवानों को बिना कुछ कहे उठा ले जाती है... रोज़ाना कहीं ना कहीं सेना बलूचों को मार रही है... अब तो हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं.. बलूच अपने ही प्रदेश में अल्पसंख्यक बन चुके हैं.. पाकिस्तान के कब्ज़े से पहले बलूचिस्तान में बड़ी आबादी शिया मुसलमानों की थी.. लेकिन पिछले दस सालों में पाकिस्तानी सेना करीब 20 हज़ार बलूचों को मार चुकी है... एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 21 हज़ार बलूच युवक लापता हैं.. पाकिस्तान जानबूझकर यहां पंजाब और दूसरे इलाकों से लाकर लोगों को बसा रहा है... नतीजा ये हुआ कि बलूचिस्तान में बलूच लोग ही अल्पसंख्यक हो गए हैं.. बड़ी आबादी अब सुन्नी मुसलमानों की हो गयी है..
पाकिस्तान का बलूचों पर अत्याचार
ज़ाहिर है पाकिस्तान की ये नापाक चाल बलूच लोगों की भी समझ में आ रही है.. क्योंकि बलूच जानते हैं कि उनकी ये ज़मीन पाकिस्तान के लिए सोने की चिड़िया है... गैस और तेल के बड़े भंडारों के साथ सोने और तांबे जैसी कीमती धातुओं के यहां भंडार हैं.. पाकिस्तान उनकी ज़मीन से अपना खज़ाना भर रहा है.. लेकिन बलूचों को एक चवन्नी भी नहीं दी जा रही.. चीन की मदद से पाकिस्तान यहां के प्राकृतिक संसाधनों को निकाल रहा है.. ज़ाहिर है जो इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ हो... गैस और तेल के बड़े भंडार हों... सोने और तांबे जैसी धातुओं की खानें हों.. तो वहां से कितनी कमाई हो रही होगी.. लेकिन विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं किया गया.. बलूचों की हालत तो उससे भी खराब हो गयी है.. जब वहां अंग्रेज़ों की हूकूमत थी..
ज़ाहिर है पाकिस्तान के इन्हीं ज़ुल्मों सितम ने बलूचों को इतना नाराज़ कर दिया है कि वो अपनी आज़ादी के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हट रहे...बलूचिस्तान का भारत से नाता बेहद पुराना है... आज़ादी के पहले से ही बलूच.. हिंदुस्तान को अपना करीबी मानते रहे हैं.. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाल किले से बलूचिस्तान का नाम लिया.. तो दुनियाभर में मौजूद बलूच नेताओं ने इसके प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया
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