MTCR में शामिल होने से भारत को क्या मिलेगा ?
भारत MTCR यानी मिसाइल टेक्नॉल्जी कंट्रोल रिजीम का सदस्य बन गया... अब अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक पाने में उसे कोई मुश्किल नहीं होगी.. अब इससे चीन परेशान है.. क्योंकि वो इस ग्रुप का हिस्सा नहीं है.. भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर की मौजूदगी में भारत को औपचारिक तौर पर MTCR यानि मिसाइल टेक्नॉल्जी कंट्रोल रिजीम का 35 वां सदस्य देश बनाया गया... यानि हथियारों के बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत पहली बार एंट्री करेगा... MTCR में शामिल होने के चार बड़े फायदे हैं...
पहला फायदा
अब भारत सदस्य देशों से अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक आसानी से हासिल कर सकेगा..
दूसरा फायदा
भारत अपनी मिसाइलें दूसरे देशों को बेच भी सकता है, यानि पहली बार हथियारों का निर्यातक देश बन सकेगा..
तीसरा फायदा
आतंरिक सुरक्षा के लिए अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीद सकता है, जिनका इस्तेमाल आतंकवादियों पर हमले और नक्सली हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में किया जा सकेगा..
चौथा फायदा
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानि एनएसजी की सदस्यता की दावेदारी मज़बूत होगी, 48 देशों के इस ग्रुप में प्रवेश का रास्ता एक बार फिर खुल सकेगा
MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना, ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके... 1987 में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान, इटली और ब्रिटेन ने मिलकर MTCR का गठन किया.. भारत को मिलाकर अब इसमें 35 देश हो गए हैं... इसका मकसद केमिकल, बायलोजिकल और न्यूक्लियर मिसाइलों के इस्तेमाल को सीमित करना है...
MTCR में शामिल होने के बाद भारत सरकार के सूत्र इस बात का दावा कर रहे हैं कि एनएसजी में शामिल होने के लिए भारत का दरवाज़ा एक बार फिर से खुल सकता है.. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि विरोध कर रहे देशों के साथ चीन को आखिर भारत कैसे राज़ी करेगा.. वो चीन जो लगातार भारत का ये कहकर विरोध कर रहा है कि भारत पहले एनपीटी पर हस्ताक्षर करे और उसके बाद ही उसे एनएसजी में सदस्यता दी जाए
पहला फायदा
अब भारत सदस्य देशों से अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक आसानी से हासिल कर सकेगा..
दूसरा फायदा
भारत अपनी मिसाइलें दूसरे देशों को बेच भी सकता है, यानि पहली बार हथियारों का निर्यातक देश बन सकेगा..
तीसरा फायदा
आतंरिक सुरक्षा के लिए अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीद सकता है, जिनका इस्तेमाल आतंकवादियों पर हमले और नक्सली हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में किया जा सकेगा..
चौथा फायदा
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानि एनएसजी की सदस्यता की दावेदारी मज़बूत होगी, 48 देशों के इस ग्रुप में प्रवेश का रास्ता एक बार फिर खुल सकेगा
MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना, ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके... 1987 में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान, इटली और ब्रिटेन ने मिलकर MTCR का गठन किया.. भारत को मिलाकर अब इसमें 35 देश हो गए हैं... इसका मकसद केमिकल, बायलोजिकल और न्यूक्लियर मिसाइलों के इस्तेमाल को सीमित करना है...
MTCR में शामिल होने के बाद भारत सरकार के सूत्र इस बात का दावा कर रहे हैं कि एनएसजी में शामिल होने के लिए भारत का दरवाज़ा एक बार फिर से खुल सकता है.. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि विरोध कर रहे देशों के साथ चीन को आखिर भारत कैसे राज़ी करेगा.. वो चीन जो लगातार भारत का ये कहकर विरोध कर रहा है कि भारत पहले एनपीटी पर हस्ताक्षर करे और उसके बाद ही उसे एनएसजी में सदस्यता दी जाए
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