ज़िंदगी
अरे तू तो वही है
जो अक्सर गरीबों की नींदों में दिखती है
जो इच्छाओं के हर नुक्कड़ पर खड़ी मिलती है
जो बच्चों की ज़िदों की छतों पर घूमती है
अरे कहीं तू ख्वाब तो नहीं
जो इच्छाओं के हर नुक्कड़ पर खड़ी मिलती है
जो बच्चों की ज़िदों की छतों पर घूमती है
अरे कहीं तू ख्वाब तो नहीं
अरे तू तो वही है
जो हरदम भागती-दौ़ड़ती रहती है
जो सबको अपने पीछे रखती है
जो गरीबों के लिए ख्वाब है
जो अमीरों के लिए हैसियत है
अरे कहीं तू हसरत तो नहीं
अरे तू तो वही है
जिसने हर पल तड़पाना सीखा है
जिसने हर मोड़ पर गिराना सीखा है
जो ख्वाबों का गला घोंट देती है
जो हसरतों को सूली पर चढ़ा देती है
अरे कहीं तू ज़िंदगी तो नहीं
ज़िंदगी...चल तू बेवफा ही सही
भले ही घोंट दे तू हसरतों का गला
डूबो दे तू ख्वाबों को समंदर में
पर इतना तो समझ ही ले
तूझे हम जी के दिखाएंगे
तूफानों में लौ को जला कर दिखाएंगे
मौत से दोस्ती करने से पहले ऐ ज़िंदगी
तेरे हर पल को अपना बना कर दिखाएंगे
गहरे विचार हैं... अच्छी बुनावट है...
ReplyDeletenice line bhai
ReplyDeletenice lines bhai
ReplyDeletenice line bhai
ReplyDeleteशुक्रिया..शुक्रिया...
ReplyDeleteअभिषेक बहुत-बहुत धन्यवाद... बड़े कवियों का मार्गदर्शन इसी तरह मिलता रहे तो हौसला बढ़ जाता है...
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