सैलरी का महीनों नहीं आना और पत्रकार का मर जाना - 1
बहुत ही दुखद खबर आयी है... सहारा के न्यूज चैनल 'समय' उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड में 35 साल के असिस्टेंट प्रोड्यूसर अमित पांडेय की मौत हो गयी है... सहारा में सैलरी कई महीनों से नहीं आ रही है... अमित को टाइफाइड हो गया था... पहले दिल्ली मे्ं कुछ दिन इलाज हुआ... और शायद जब जेब में महंगे इलाज के लिए पैसे नहीं बचे.. तो उन्हें लखनऊ ले जाया गया.. वहां भी इलाज चला.. लेकिन आखिर में मल्टीपल ऑर्गन फेल हो जाने से अमित की मौत हो गयी... शायद सैलरी आती रहती... और अकाउंट में पैसे होते तो.. इलाज बेहतर होता... और शायद अमित की जान बच जाती... ज्यादा दुख इस बात का है कि... मीडिया संस्थानों में काम करने वाले लोग...जो पूरी दुनिया के हक की आवाज़ बनने का ढोंग रचते हैं... वो अमित पांडेय की जान ना बचा पाए... सहारा की हालत फिलहाल क्या है ये किसी से छुपी नहीं है... लेकिन क्या पत्रकारों की जान इतनी सस्ती हो गयी है... क्या अपने चहेते पत्रकारों पर करोड़ों रूपए उड़ाने वाली सरकार अमित पांडेय जैसे छोटे पत्रकार की जान बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी... या फिर हमारे जैसे पत्रकार सिर्फ इसलिए इस पर बात करने से कतराते रहेंगे कि अपनी तो चल रही है.. दूसरों से हमें क्या मतलब... लानत है...
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