ज़िंदगी और जंग
रिश्तों को टूटता देख रहा हूं
बंधन को बिखरता देख रहा हूं
काश मैं वक्त को रोक देता
सबकुछ हाथों से सरकता देख रहा हूं
हंसी भी थी
खुशी भी थी
मंज़िल भी थी
रास्ते भी थे
पर सब निकलता देख रहा हूं
वो कहते हैं कि सब ठीक होगा
वो कहते हैं कि बिगड़ी भी बन जाएगी
वो कहते हैं कि वक्त सब ठीक कर देगा
पर वो नहीं जानते की मैं वक्त को
फिसलता देख रहा हूं
©Alok Ranjan
बंधन को बिखरता देख रहा हूं
काश मैं वक्त को रोक देता
सबकुछ हाथों से सरकता देख रहा हूं
हंसी भी थी
खुशी भी थी
मंज़िल भी थी
रास्ते भी थे
पर सब निकलता देख रहा हूं
वो कहते हैं कि सब ठीक होगा
वो कहते हैं कि बिगड़ी भी बन जाएगी
वो कहते हैं कि वक्त सब ठीक कर देगा
पर वो नहीं जानते की मैं वक्त को
फिसलता देख रहा हूं
©Alok Ranjan
जीवन की वास्तविकताओं को उकेरती कविता .. बहुत अच्छे ..
ReplyDeletebehatreen sir
ReplyDeletebehatreen sir
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