शिवराज जी ड्रेस की नहीं देश की चिंता करो !
देखिए जी हमने तो सोचा था कि कुछ ना बोलेंगे.. लेकिन अब करें भी तो क्या करें... देख कर चुप भी तो नहीं बैठा जाता... आखिर हम भी इसी देश के रहने वाले हैं जहां पर मुफ्त में सलाह हर गली मोहल्ले में मिल जाती है.. चलिए मेरे पहले ब्लॉग की शुरूआत इस दुखभरी खबर से ही करता हूं..
इसे हमारे देश का दुर्भाग्य कहें या कुछ और... हालात बेहद खराब हैं... देश की किसी को फिक्र नहीं है... राजधानी दिल्ली में बम ब्लास्ट होते हैं... और हमारे देश के गृहमंत्री एक घंटे के अंदर तीन बार ड्रेस बदलते हैं... मीडिया वाले खड़े थे इस बात के इंतज़ार में कि गृहमंत्री जी धमाकों के बारे में कोई नयी जानकारी देंगे... इसमे शामिल आतंकवादियों के बारे में कुछ बताएंगे.. .लेकिन हाय रे फूटी किस्मत... शिवराज जी के ड्रेस तो नए थे लेकिन बयान वही पुराना रटा रटाया... बस जगह.. नाम और आंकड़े बदल गए थे... अब बताइए भला हम चुप कैसै बैठें... जहां पर धमाकों ने पच्चीस की जान ले ली... वहां के गृहमंत्री को अपनी ड्रेस की पड़ी है... बाकी जाएं भाड़ में... शायद यही सोचा होगा शिवराज जी ने... उनकी सोच भी जायज़ (?) है... हर महीने तो कहीं ना कहीं ब्लास्ट हो जाता है... और सारा दोष गृह मंत्रालय पर थोप दिया जाता है... अरे भई वहां भी तो आदमी ही काम करते हैं... गलतियां तो हो ही जाती हैं.. क्या हुआ अगर खुफिया एजेंसियों को इस बात की ज़रा भी भनक नहीं मिलती कि कहां पर ब्लास्ट होने वाला है... क्या हुआ अगर सुरक्षा एजेंसियां इधर उधर खाक छानती फिरती है... सुरक्षा के पूरे दावे करती है... ये बात और है कि धमाके फिर भी हो ही जाते हैं... पुलिस की बात ना ही करें तो ज्यादा अच्छा है... उसे तो उगाही से पैसे बनाने से ही फुर्सत नहीं है... वो भला क्या खाक पता लगाएगी.. आतंकवादियों का... अरे भई जिस देश के गृहमंत्री को मरनेवालों के परिवार वालों और घायलों से ज्यादा अपने ड्रेस की फिक्र हो.. वहां की पुलिस क्यों फजूल में अपना दिमाग लगाए..
लगता है अब कुछ ज्यादा ही हो गया... फिलहाल मेरी भलाई इसी में है कि अब चुप हो जाउं... लोग खामखां बोलने पर मजबूर कर देते हैं... मैं तो अब भी यही कहता हू... मैं तो जी चुप ही रहता हूं....
Sahi kaha tumne yaar. Yeh pathetic attitude hai. Sarkar jitni aasani se in dhamakon ko le rahi hai. Isse aatankvadiyon ka hausla badhega hi. Dar to is baat ka hai kahin poore desh men kashmir jaise haalat na ho jayen.
ReplyDeleteJai mata di,
ReplyDeleteHamen bhi bihari hone per garv hain.
अच्छा प्रयास है...आलोक भाई...आगे लगातार लिखते रहो...
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