आज़ाद और गुलाम UnknownSunday, September 06, 2015 परिंदों को रोज़ सुबह देखता हूं उड़ते हुए बच्चों की भूख को खुद भूखा रह कर मिटाते हुए शाम को जब वो घोंसलों में लौटते हैं थक हार कर ...Read More
नियति UnknownSunday, September 06, 2015 शर्मा जी... शाम को जब घर वापसी के लिए निकलें तो ज़रा मुझे फोन कर लीजिएगा बाज़ार से दो-चार चीज़ें मंगानी हैं... संजना ने अपने पति को उला...Read More