अभी अभी

मां के लिए.....

Sunday, May 09, 2010
कितनी बार माँ मैंने देखा है तुमको संकोच में, कब किससे, कहूँ, क्या, कब, कैसे, की सोच में, अपने ही घर की बैठक में गुमसुम तुम, परोस रही चाय-पकौ...Read More