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अरविंद केजरीवाल जी अब आम आदमी नहीं रहे, आम आदमी की पाती केजरीवाल जी के नाम


भइया केजरीवाल जी.. अब आप तो आम से खास आदमी हो गए... कहा था आपने की मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले रहा हूं बल्कि दिल्ली की पूरी जनता मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही है... ज़रा इस चिट्ठी पर गौर करें... ये भी एक आम आदमी है... आपको ना तो बिजली कटने की परेशानी झेलनी है.. ना ही गर्मी की... ना ही मच्छरों की... बाकी आपके स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो किसी से छुपी नहीं है... बच्चों का टीका तक तो मिल नहीं रहा... 100 दिनों में आपने क्या किया.. इसकी लिस्ट जारी करने से बेहतर ये होता कि 100 दिनों में आपने क्या नहीं कर पाए.. इसकी जानकारी दे देते तो आम आदमी का यकीन आप पर और बढ़ जाता.. क्योंकि अब आप तो आम से खास होकर मुख्यमंत्री बन गए... लेकिन इस बेचारे आम आदमी को ये सब झेलना पड़ता है... ऐसे ही एक आदमी देवेश वशिष्ठ की एक पाती... मुख्यमंत्री जी केजरीवाल के नाम... 


श्री अरविंद केजरीवाल जी
माननीय मुख्यमंत्री
दिल्ली सरकार
मुख्यमंत्री जी, 
अब आपसे और आपके मंत्रियों से मिलना बहुत मुश्किल हो गया है और हमारे विधायक कभी न घर मिलते हैं न फोन उठाते हैं इसलिए आपको ये खुला खत लिखना पड़ रहा है।
हमें आपने कहा कि आप ईमानदार हैं, इसलिए दिल खोलकर आपको वोट दिये। यहां तक कि आस पड़ौस के लोगों से भी कहा कि उस आदमी को चुनें जो कहता है कि उसके राज में दिल्ली का हर आदमी खुद को मुख्यमंत्री समझे। केजरीवाल जी आपके कहे पर मुझे इतना भरोसा है कि अब तो कभी कभी सोते वक्त ये सपना भी आ जाता है कि मैं भी मुख्यमंत्री बन गया हूं। लेकिन पिछले चार दिन से पूर्वी दिल्ली की एक घनी बस्ती न्यू अशोक नगर जहां मैं रहता हूं वहां रात भर बिजली लुका छिपी का खेल खेलती रहती है। लगता है कि आपके खिलाफ साजिश है क्योंकि चिपचिपी गर्मी में मुख्यमंत्री का सपना नहीं दिखता। 

केजरीवाल जी मुख्यमंत्री तो आप ही हैं। हमारे इतने बड़े सपने नहीं है। आपने भी तो कहा था कि मुझ जैसे आम आदमी की मांगें भी बहुत छोटी छोटी होती हैं। पत्नि बता रही थी कि सुबह बच्चे को टीका लगवाने के लिए नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र गई तो वहां बताया कि बहुत दिन से वहां दवाएं नहीं आ रहीं। रोटा वायरस का टीका भी नहीं था वहां। बच्चा रोता है रात को गर्मी में। कहीं उल्टी दस्त न लग जाएं। इंटरनेट पर पढ़ रहा था कि रोटा वायरस का टीका इसी काम का होता है। आप तो जनता के मुख्यमंत्री हैं, कुछ व्यवस्था करवा देते तो ठीक रहता।
मैं भी आम आदमी ही हूं। आपकी टोपी दस रुपये देकर खरीदी थी, पर्ची भी कटाई थी। रखी है मेरे पास। मुझे यकीन है कि आप पिछले मुख्यमंत्रियों जैसे नहीं है... लेकिन पहले कभी कभी नालियों की सफाई के लिए कुछ लोग जो आते थे, वो अब नहीं आते... मच्छर बहुत हो गए हैं ना इसलिए परेशानी ज्यादा हो गई है। मुझे पता है कि ये आपके खिलाफ साजिश है... लेकिन कुछ करवा देते तो ठीक रहता।
एक और छोटा सा काम है आपसे... वो मेरी पत्नि है ना, राजकीय कन्या विद्यालय में गेस्ट टीचर थी... उसकी तीन महीने की सैलरी बाकी है... जब आप पिछली बार आए थे तो बजट नहीं मिलने से नहीं मिल पाई थी। उस बिचारी ने तो उम्मीद ही छोड़ दी है.. लेकिन मैं उसे समझाता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री ईमानदार हैं... वो ऐसा थोड़े करेंगे.. वैसे मामला साल भर पुराना हो गया है। अब तो उसकी नौकरी भी छूट गई है... अगर पैसे दिलवा देते तो ठीक रहता...

हां एक और बात है... मेरे बाल बहुत झड़ रहे हैं...। तो ऐसे ही झ़ड़ते रहे तो गंजा हो जाऊंगा। इसलिए वो सरकारी वाला अच्छा पानी भिजवा देते तो कृपा होती... लोग बताते हैं ग्राउंड वाटर से बाल टूट रहे हैं। पीने के लिए 20 रुपये का मंगवा लेता हूं..। लेकिन बाल धोने भर को सरकारी वाला अच्छा पानी मिल जाता तो ठीक रहता। 

बहुत छोटी छोटी सी परेशानियां हैं। आपकी स्वराज भी पढ़ी थी मैंने। 45 रुपये की खरीद कर लाया था। क्या लिखा है आपने। वाह।
आम आदमी की तो ज्यादा डिमांड नहीं होती। बस इतनी सी बात थी कि हमारी गली पक्की होनी थी। दो साल पहले काम भी शुरू हो गया था। वैसे हमें वहां रहने की आदत हो गई है, पर काम रुक गया तो गिट्टी पत्थर से बाइक निकालने में भी परेशानी होती है। पत्नि को साथ ले जाते वक्त डर लगता है, कहीं गिर ऊबड़-खाबड़ में गिर न जाए। काम शुरू करवा देते तो ठीक रहता...
बाकी सब बहुत अच्छा है। बहुत तरक्की हो ही रही है। आपका दिल्ली का विकास करने के लिए शुक्रिया।
आपका
आम आदमी।

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