अभी अभी

एक तलाश



सौजन्य : मानसी शर्मा



स्वयं से यह प्रश्न करती  हूँ 
कौन हूँ मैं 
आग में जलती हुई  
क्यों मौन हूँ मैं ??

बंद घर में घुटती साँस हूँ  या 
या उर में ठंडक का एहसास हूँ मैं ??

दिवार पर टंगी कोई म्यार  हूँ या 
सृष्टि  का खोया हुआ मान हूँ मैं ??

सागर तल में पड़ा कोई पाशाण  हूँ या 
मृत भावनाओ को ढोती  इन्सान हूँ मैं ??

जीवन यज्ञ  में जलती हुए होम हूँ या 
प्रेम-प्रतीक विराट व्योम हूँ मैं ??

प्यास को मिटाती हुई वारि हूँ मैं या 
जगत की जननी नारी हूँ मैं ??

बिस्तर पर पड़ी एक लाश हूँ या 
अर्धांगिनी का अधिकार हूँ मैं ??

हार हूँ या जीत हूँ या 
जीती हुए मैं हार हूँ ??

प्रश्नो का जवाब खोजती या 
हर प्रश्न का जवाब हूँ मैं ??

आखिर कौन हूँ मैं ??

लेखक रेडियो प्रोड्यूसर रह चुकी हैं, देश के कई जाने-माने एफएम स्टेशन्स में काम कर चुकी हैं, बेहद क्रिएटिव हैं, बेहद सरलता से और नपे तुले शब्दों में बड़ी-बड़ी बातें कहने में उस्ताद हैं, कैसी है मानसी की ये कविता इस पर अपनी राय ज़रूर दें.

1 comment:

  1. waah maan gaye antarman kee talaash me rachee gayee ek saarthak kavita

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