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भगवन एक 'गीता' कलयुग के लिए भी


डियर गॉड कृष्ण


आप तो जैसे हमें भूल ही गए हैं... कि आपने गीता का जो ज्ञान अर्जुन को दिया था.. उसमें ढेरों संशोधन की ज़रूरत है... 1947 के बाद से हमारे देश के संविधान में तो 108 बार संशोधन हो चुका लेकिन हम तुच्छ प्राणियों की दिशा तय करने वाले आपके संविधान गीता में एक बार भी संशोधन ना हो सका.. अब देखिए ना.. आप ही ने तो कहा था कि.. कर्म किए जा.. फल की चिंता ना कर... लेकिन भगवन ये तो उस युग की बात है जब आप माखन चुरा भी लेते थे तो लोगों को आप पर प्यार ही आता था... लेकिन आजकल बड़ा गड़बड़ हो गया है... अमूल का मक्खन तो बजट से बाहर निकला जा रहा है... और दूध की तो भगवन पूछिए ही मत... रात को पिया और सुबह पता चला कि अब से 2 रूपए कीमत बढ़ गई... रात में शरीर में जितना प्रोटीन दूध पहुंचाता है उससे ज्यादा तो सुबह खत्म हो जाता है... भगवन आप ही बताए ना कैसे ना करें.. फल की चिंता... बिना फल के तो गाड़ी को बस निहार भर कर मेट्रो स्टेशन की ओर चला जाता हूं... वैसे आप तो यही कहेंगे कि मैंने कहा था कि गाड़ी खरीद ले... लेकिन भगवन हम तो बिना दूध के चल जाते हैं... गाड़ी तो ज़िद ठान के बैठ जाती है... उसे तो पेट्रोल चाहिए तो चाहिए ही... भगवन बिना फल के तो इस कलियुग में कुछ भी नहीं चलता.. अब देखिए ना... कर्म तो हम करते ही हैं... आजकल तो बिना फल की चिंता किए बगैर करते हैं... लेकिन घर का बजट है कि मानता ही नहीं... भगवन गीता में आपने कहा है कि बुरे वक्त में ही अच्छे लोगों की पहचान होती है... लेकिन भगवन बिना फल के तो अच्छे-अच्छों की आजकल लग जाती है.... अब कैसे पहचान करें कि फलां अच्छा है और फलां बुरा... सारे तो एक ही नाव पर सवार हैं... इसलिए संशोधन कर ही डालिए भगवन... आपने ही कहा था कि अगर आप किसी का बुरा नहीं करते तो... आपका भी बुरा नहीं होता... लेकिन भगवन कलयुग में तो उल्टा हो रहा है... उंगली करने की यहां बहुत बुरी आदत हो गई है... ज्ञानी तो इतने भर गए हैं... कि उनका रोम-रोम.. डीवीडी रॉम में तब्दील हो चुका है.. इतना डेटा भर गया है... कि चुप रहते वक्त भी उनसे ज्ञान छलकता रहता है... भगवन आपने कहा था कि खाली हाथ आए और खाली हाथ ही चले जाना है... होता तो कलयुग में भगवन यही है... लेकिन बीच का जो पीरियड है... वो तो खाली हाथ नहीं गुज़रता भगवन.. उसके लिए तो हाथ के साथ-साथ जेब और बैंक बैलेंस भी भरा हुआ होना चाहिए... जो कल किसी और का था... और आज मेरा क्यों नहीं है भगवन... वो आज भी उसी का है... टाटा का माल टाटा के पास ही है... यही हाल अंबानीज़ का भी है... नेताओं की तो पूछिए मत... आपके आम भक्त क्या करें भगवन... आप कहते हैं कि भूत का पश्चाताप ना करो... भविष्य की चिंता ना करो... वर्तमान तो चल ही रहा है... भगवन आपकी बात मान लें.. तो कलियुग में एक दिन भी धरती पर गुज़ारना आपके शब्दों में असंभव है... भगवन कुछ तो करिए... अब एक संशोधित गीता कलयुग के भी भेज ही डालिए... छापने की टेंशन ना लें..आजकल तो इंटरनेट का ज़माना है... कहीं ना छपा तो फेसबुक/ट्विटर पर ही छाप देंगे...

आपका अपना ही
कलियुगी भक्त

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