दीज़ नाइट शिफ्ट पीपल !
नाइट में जगने वाले माने निशाचर जाति के प्राणी... यानि मीडिया की भाषा में कहें तो दीज़ नाइट शिफ्ट पीपल... कहने वाले ऐसा कहते हैं... लेकिन मीडिया में नाइट शिफ्ट का मतलब तो कुछ ऐसे भी निकलता है...
दोस्तों से शेखी बघारते हुए....
'हा हा हा बहुत उड़ रहे थे... भेज दिया ना नाइट शिफ्ट में '
दूसरे चैनल में किसी दोस्त को बताते हुए...
'अरे नाइट शिफ्ट में डंप कर दिया है उसे'
अपने सीनियर जिन्हें चैनल के भीतर लोगों के बारे में कम जानकारी है उन्हें बताते हुए...
'सर.. बिना काम का आदमी है.. इसलिए नाइट शिफ्ट में डाल रखा है'
मीडिया में जो काम करते हैं... वो इन लाइन्स को बेहद अच्छी जानते और समझते भी हैं... नाइट शिफ्ट के बारे में करीब-करीब सभी लोगों को कई सारी गलतफहमियां हैं... न्यूज चैनल्स में नाइट शिफ्ट का मतलब ही यही निकाला जाता है कि उसे सजा दी गयी है... लेकिन मैं यकीन के साथ कह सकता हूं... कि लोगों को अपने नज़रिए को बदलने की ज़रूरत है... नाइट शिफ्ट कई मायनों में खराब है... ये स्वास्थय पर असर डालती है... आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करती है... आप ठीक से खाते नहीं है... आप ठीक से इन्जॉय नहीं कर पाते... अपनी फैमिली के साथ कम वक्त दे पाते हैं... जब लोग सो रहे होते हैं तो आप जाग कर खबरों से जूझ रहे होते हैं... और जब पूरी दुनिया दिन के उजाले में व्यस्त रहती है... तो आप कमरे में घुप्प अंधेरा कर रात होने का अहसास करते हैं... खासकर उन लोगों के लिए नाइट ज्यादा परेशान करने वाली होती है जिनकी नई नई शादी हुई रहती है... लेकिन सौ खराबियों के बाद भी नाइट शिफ्ट का अपना एक अलग ही रूप रंग है.. रात का अंधेरा भले ही काला हो... लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी हैं.. जो नाइट शिफ्ट को मज़ेदार बनाती हैं... जो लोग ये कहते हैं कि नाइट में काम ही क्या होता है... उन लोगों को मैं बता दूं... अमूमन सुबह से लेकर रात तक जो खबरें चलती हैं... वो सिर्फ फॉलोअप होती हैं... सुबह से जो खबर आती है दिन से रात तक सिर्फ उसे फॉलो किया जाता है... यानि आप सिर्फ फॉलोअर होते हैं... जबकि नाइट शिफ्ट में खबरें क्रिएट होती हैं..जिनके दम पर अगला पूरा दिन निकलता है...इसलिए ये कहना की नाइट में काम ही क्या है गलत है... नाइट शिफ्ट में काम करने वाले शांत दिमाग से काम करते हैं... खबरों को समझने में मेहनत नहीं करनी पड़ती...क्योंकि दिन में काम करने वालों के पास तो वक्त ही नहीं रहता ज्यादा सोचने का... काम आप अपने हिसाब से करते हैं... आप काम के साथ-साथ गपशप भी करते हैं... हंसी मज़ाक भी करते हैं... लोग कम होते हैं.. इसलिए नाइट शिफ्ट एक परिवार की तरह हो जाता है... (दिन के लोग शायद अलग-अलग टीम की तरह काम करते हैं) दिन में लोगों को शायद ही ये पता चलता होगा कि उनके बुलेटिन में क्या जा रहा है... कौन कौन सी खबरें गयीं हैं... कौन कौन से शो गए हैं... (सिर्फ रनडाउन वाले को छोड़कर) क्योंकि उनके पास वक्त की बेहद कमी होती है... और शिफ्ट खत्म होने के बाद किसे खबर रहती है खबरों की... खैर.. बात नाइट शिफ्ट की हो रही है... नाइट में काम के साथ-साथ जितनी मस्ती होती है उसे बाकी लोग शायद ही समझ पाएं... क्योंकि अमूमन लोग नाइट माने सज़ा ही जानते हैं... नाइट का मज़ा वो क्या खाक लेंगे.. जो नाइट में जाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं... या फिर अपने आप को बुद्धिजीवी समझकर नाइट शिफ्ट में जाने से कतराते हैं... नाइट का असली मज़ा तो उसका कद्रदान ही उठाता है... लोग जब सुनते हैं कि नाइट शिफ्ट लगी है.. तो चेहरे पर एक मुस्कुराहट आती है... फिर पूछते हैं... यार नींद तो पूरी हो ही जाती होगी... अब अमां उन्हें कौन समझाए कि अगर नींद ली तो नाइट शिफ्ट का मज़ा आपने खो दिया... हां पावर नैप ज़रूर लीजिए... क्योंकि 5-7 मिनट की पावर नैप.. आपको अगले 2 घंटे के लिए चार्ज कर देती है... करीब 4 महीने नाइट शिफ्ट की... और शायद ही ये महसूस हुआ कि यार ये शिफ्ट गंदी है... नाइट शिफ्ट के गज़ब के फायदे हैं... आपका फोन का बिल सीधे आधे पर आ जाता है... क्योंकि जब आप जाग रहे होते हैं तो पूरी दुनिया सो रही होती है... और जब पूरी दुनिया जाग रही होती है तो आप सो रहे होते हैं... दिनभर आप अपने घर के भी काम कर सकते हैं... सारे सरकारी काम कर सकते हैं... आपके पेट्रोल का बिल भी कम हो जाता है... क्योंकि ऑफिस आने-जाने का जो वक्त है... उस वक्त सड़कें खाली ही मिलती हैं... और हां... रात में नौकरी करने के बाद.. दिन में नयी नौकरी भी ढूंढ सकते हैं... ज़रा पूछिए तो दिनवालों से... कि क्या उन्हें नौकरी करते हुए इतनी सारी सुविधाएं मिलती हैं... तो अगली बार अगर आपकी नाइट लगती है तो इसे सजा नहीं... बल्कि मजे के तौर पर लें... क्योंकि यहां पर काम के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलती है...
सर मैं तो पूरी तरह आपकी बातों से सहमत हूं..क्योंकि मैंने खूब नाइट शिफ्ट में काम किया है ..और सच बताऊं नाइट शिफ्ट में काम करने का मजा ही कुछ और है ..कोई किचकिच नहीं ..पूरा वक्त होता है सोचने के लिए समझने के लिए और काम करने के लिए....
ReplyDeleteबेकार के लोगों से वास्ता नहीं पड़ता...
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ReplyDeleteHello Sir KAPIL this side.Sir NYT shift ko humse behtar or kon samajh sakta hai.Sir jo samajh geya or woh is shift ko chodne sw pehle bar-bar sochta hai ab sir mujhe hi dekh lijiye pichle 1 Saal se NYT shift kar raha hoon.ek dum mast hoon Sir no problem at all Sir.NYT shift ka ek sabse achha fayda to aapne bataya hi nahin Sir ki aap office ki sabse gandi POLITICS se dur rehte hai.
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आलोक जी.. रात्रि के यात्री जितने शानदार तरीके से अपने काम का मजा ले सकते हैं वाकई कई मायनों में दिन के भाई बंधु कभी भी नहीं ले सकते .. हां इतना जरुर है कि नाइट शिफ्ट वालों को अगर दो ऑफ और मिल जाएं.. तो समझो सोने पे सुहागा.. क्योंकि कभी कभार अगर दिन में ना सो पाओ तो समझो नाइट में लगेगी वॉट......खैर कुल मिलाकर नाइट वालों की बल्ले बल्ले ही होती है
ReplyDeleteक्या आपको पता है कि आपके ऑफिस गेट पर खड़ा सुरक्षाकर्मी कहां का है, कितना पढ़ा लिखा है, और उसके सपने क्या हैं ?
ReplyDeleteक्या आपको पता है कि आपके ऑफिस के वॉशरूम में कभी कभी सन्नाटा भी पसरा होता है।
आप तो ये भी नहीं जानते होंगे कि जिस कैफेटेरिया में आप चाय, नाश्ता करते हैं, वहां बड़े मोटे मोटे चूहों की भी एक दुनिया है।
क्या आप जानते है कि छोटी सी जगह में कोई इंसान कैसे सो जाता है।
क्या आप कभी नहीं सोचते हैं कि दिनभर साफ दिखने वाला आपका ऑफिस हमेशा साफ कैसे रहता है ?
ऐसे ढेरों सवाल हैं, पर जवाब एक है...
एक बार नाइट शिफ्ट में आकर देखिए।
आप सोचिए कि ढरों ऐसी जानकारी जिनका हमारे उस काम से कोई वास्ता नहीं है जिसके लिए हम ऑफिस आते हैं। हमें पता चलती हैं।
बावजूद इसके हम (नाइट शिफ्ट वाले)सबसे बेहतरीन नहीं, तो किसी से कमतर काम नहीं करते।
नाइट शिफ्ट करने वालों की बात ही कुछ और है वो रात भर जागकर दिन वालों को खुली आंख से सोने का मजा देते हैं...
ReplyDeleteअतुल ने बेहतरीन कमेंट किया है इस कमेंट के आगे कुछ कहना बेकार है। नाइट वाले दिन के ओपनर होते हैं।
ReplyDeleteअतुल ने वाकई बहुत बढ़िया कमेंट किया है... जो भी बातें उसने लिखी हैं... उन्हें कभी नाइट शिफ्ट में आज़माइएगा ज़रूर
ReplyDeleteआलोकजी आपने जो लिखा है..... उसमें कोई संदेह करने वाली बात ही नहीं है..... आपने कम शब्दों में पूरी नाइट शिफ्ट का बखान कर दिया.... वैसे मैं ये कहूंगा, कि नाइट शिफ्ट में जब लोगों को भेजा जाता है, तो ये समझ कर कि सुबह की बुलेटिन अच्छी बनेगी... जीतने भी बड़े चैनल हैं.... उनमें समझदार लोगों को ही नाइट शिफ्ट में डाला जाता है... लेकिन शायद आप इस वक्त जहां काम कर रहे हैं, वहां ऐसी कोई बात नहीं दिखती है.... वहां तो बस उनलोगों को परेशान किया जाता है, जो सिर्फ काम से मतलब रखते हैं,,, चाटुकारिता से नहीं..... और इसी वजह से कुछ लोगों को टारगेट कर वहां नाइट शिफ्ट में डाला जाता है... ये सोचकर नहीं कि काम करेगा.... वहां के कुछ लोगों की मानसिकता एकदम अलग है....काम करने के बजाए वो टारगेट पर ज्यादा ध्यान देते हैं...
ReplyDeleteआलोक जी आप ने जिस तरह से नाइट शिफ्ट की खासियतों का जिक्र किया है वह काबिलेतारिफ है ...वैसे इस बात से तो आप इन्कार नहीं कर सकते कि ज्यादातर लोग नाइट शिफ्ट में काम करने से भागते हैं ...मगर आपने अपने लेख से यह साबित कर दिया है कि काम करने वालों के लिए समय और स्थान मायने नहीं रखता वह तो समय को अपने अनुकूल बना लेता है ...
ReplyDeleteमेरे साथ तो नाइट शिफ्ट की इतनी यादगार बातें जुड़ी हैं, कि उनपर पूरी किताब लिखी जा सकती है। इतना ही नहीं नाइट शिफ्ट ने तो मेरी पर्सनल लाइफ़ ही बदलकर रख दी। बहुत बढ़िया उकेरा है नाइट शिफ्ट के तजुर्बे को।
ReplyDeleteसबसे अच्छी बात ये कि नाइट शिफ्ट में आपको लंबे समय के साथी मिलते हैं...मैंने भी नाइट शिफ्ट की...जितने लोग मेरी शिफ्ट में रहे उनसे आज भी रिश्ते बने हुए हैं....वरना दिन की भाग दौड़ में चैनल बदलने के बाद कौन किसे याद रख पाता है.....इतना ही नहीं बहुत से नाट शिफ्ट के साथियों के साथ अब तो पारिवारिक रिश्ते बन गए हैं...जो शायद दिन की शिफ्ट के लोगों के साथ कभी मुमकिन ना होते.....
ReplyDeleteसईद