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ISIS का बढ़ता कद और मज़हब की चुपचाप बढ़ती दीवार



सोशल मीडिया साइट्स पर इन दिनों एक अलग तरह की बहस छिड़ी हुई है... मुस्लिम हैं तो घर नहीं दिया.. मुस्लिम हैं तो नौकरी नहीं दी... विरोधी पक्ष अपने हथियार लेकर कूद पड़ा है... फलां कंपनी मुसलमान की है तो वहां हिंदुओं को नौकरी नहीं दी जाती.. कई ने तो OLX पर मकान देने के लिए दिए गए विज्ञापनों के स्क्रीनशॉट चिपका दिए हैं.. कि मकान सिर्फ मुस्लिमों के लिए खाली है... मकान सिर्फ हिंदुओं के लिए खाली है... लेकिन इस बात की चर्चा बेहद कम नज़र आती है कि आतंकी संगठन ISIS ने अब किसकी जान ली... मुस्लिमों भाइयों की वॉल पर धर्म और उससे संबंधित सारी खबरें मिलती हैं.. लेकिन ये कहीं नहीं मिलता की आतंकी संगठन ISIS क्यों ऐसी दरिंदगी कर रहा है... ताज़ा वीडियो डाला है इन कमज़र्फ कायरों ने... सीरिया के एक बंदी का गला काटते हुए... लेकिन उससे पहले ISIS के इन आतंकियों ने उसी से उसकी कब्र खुदवाई... फिर उसका गला काट दिया... ज़रा सोचिए... उस वक्त उस शख्स की दशा क्या रही होगी... उस वक्त ये शख्स क्या सोच रहा होगा जब अपने ही हाथों से अपनी कब्र खोदी... आखिर क्यों हमारा मुस्लिम समाज उन आतंकियों के खिलाफ ज़ोरदार आवाज़ नहीं उठाता.. क्या वहां पर एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को नहीं मार रहा.. और क्या इसे जायज़ ठहराया जा सकता है... जिस शख्स का गला इन आतंकियों ने काटा है... वो सीरिया के अल-करयातयान का रहने वाला था.. नाम था उसका जैद अब्देल अल अबु तारेक... नाराज़गी है मुझे उन लोगों से जो राजनीति के लिए लोगों का विरोध करते हैं.. लेकिन जहां पर असली विरोध की ज़रूरत है वहां पर चुपचाप रह कर ये समझ लेते हैं कि छोड़ो यार अपनी ही कौम के खिलाफ विरोध कौन करे... मैं ऐसा नहीं कह रहा है कि सभी मुस्लिम ऐसे हैं... लेकिन ज्यादातर तो हैं... ऐसा मुझे महसूस होता है...

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