अभी अभी

मदारी का डांडिया न्यूज़


आज फिर सोचा कुछ तो कहूं...काफी दिनों से चुप बैठा था... जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं... उसके बारे में पहले ही घोषणा कर दूं.. कि इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से संबंध नहीं है... इसके सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं... अगर कुछ भी समानता होती है तो उसे एक संयोग मात्र ही माना जाए...


मदारी का धंधा चल निकला था... रोज़ाना की कमाई करोड़ों में हो रही थी... मदारी अब अपने बिजनेस को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था... लेकिन बिजनेस का कोई आइडिया नहीं मिल रहा था... उसने सोचा कि जमूरे से बात की जाए... जमूरा उसका बड़ा तेज़ है... सो उसने आवाज़ लगाई...

जमूरे
हां उस्ताद

जमूरे एक बिज़ेनस खोलना है
उस्ताद बिज़नेस खोलना है

बढ़िया वाला बिज़नेस
उस्ताद बढ़िया वाला बिज़नेस

हां जमूरे...
खुल जाएगा उस्ताद

जमूरे कोई आइडिया तो दे..
उस्ताद जमूरा आइडिया ज़रूर देगा

तो बता ना जमूरे क्या बिजनेस करें
उस्ताद न्यूज चैनल खोल लेते हैं

अबे क्या बता कर रहा है जमूरे
हां उस्ताद बड़ा चोखा धंधा है

क्या बात कर रहा है जमूरे
हां उस्ताद हिंदी न्यूज चैनल खोल लो

जमूरे लेकिन उसके लिए क्या करना होगा
कुछ नहीं उस्ताद बस इंटरनेट का कनेक्शन दुरूस्त करना होगा

वो क्यों जमूरे
उस्ताद डाउनलोडिंग स्पीड तेज़ चाहिए होगी

क्यों मज़ाक कर रहा है जमूरे
उस्ताद यू ट्यूब से डाउनलोडिंग तेज़ होगी तभी तो न्यूज़ ब्रेक करोगे ना उस्ताद

जमूरे मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है
उस्ताद यू ट्यूब से ही तो चैनल चलते हैं...

जमूरे वो तो ठीक है लेकिन ऐसा थोड़े ही होता है
उस्ताद अब तो ऐसा ही होता है

लेकिन जमूरे ये न्यूज चैनल चलाना अपने बस की बात नहीं है
क्या बात करते हो उस्ताद... चैनल तो कोई भी चला लेता है...

सच में जमूरे उसके लिए किसी डिग्री की ज़रूरत नहीं है... पत्रकार ना भी हो तो चलेगा,...
क्या उस्ताद...किस दुनिया में हो... पत्रकारिता अब है क्या कहीं...

उस्ताद... सिर्फ चार-पांच बंदर पालने हैं... और चैनल शुरू...

जमूरे लगता है तूने सुबह-सुबह भांग चढ़ा ली है...
नहीं उस्ताद... दो बंदर एक साइड.. दो बंदर दूसरी साइड...
बस तुम चारों बंदरों से खेलते रहना... चैनल बिंदास चलता रहेगा...

फिर क्या था... अख़बार में विज्ञापन छपा..डांडिया न्यूज को चाहिए चपरासी से लेकर एडिटर इन चीफ...
हज़ारों एप्लीकेशन आ गयीं... मदारी तो फूले नहीं समा रहा था... उसे तो यकीन भी नहीं हो रहा था कि इतने सारे लोग उनके चैनल में काम करना चाहते हैं... खैर चैनल ज़ोर शोर से शुरू कर दिया गया... मदारी के पास पैसे की कमी नहीं थी... जिस बंदर ने जो भी सलाह दी... जो भी लाने को कहा... उससे दो ज्यादा ही मंगवा लिया... मदारी को लगा कि साला कहीं भी कमी नहीं होनी चाहिए... लेकिन मदारी को ये नहीं पता था... कि ये बंदर उसके सामने तो जी सर जी सर करते हैं.. लेकिन पीठ पीछे अपना ही काम बना रहे हैं... एक दिन मदारी को गुस्सा आ गया... उसने जमूरे को बुलाया...

जमूरे... साले तूने क्या किया...तू तो कह रहा था कि चैनल चलाना आसान है...
उस्ताद और नहीं तो क्या... आपने बंदरों को खुला छोड़ रखा है... जब तक आप कमांड नहीं करेंगे... बंदर थोड़े ही ना काबू में आएंगे...

ठीक है जमूरे.. अब मैं कल से ही न्यूजरूम में बैठूंगा... और देखता हूं बंदर कैसे अपनी मनमानी करते हैं...

बंदरों के होश उड़ गए.. अब तो उन्हें लगा कि अपना काम नहीं चलेगा... फौरन एक बंदर.. जो अपने आप को तीसमारखां समझता था... मदारी से सेटिंग करने लगा... मदारी को भी अच्छा लगता था.. कि वो जो करने को कहता है... ये वाला बंदर फौरन काम करवाने को हाज़िर हो जाता है... भले ही मदारी बाद में आकर पूछता भी नहीं था कि काम हुआ कि नहीं...

मदारी ने फौरन जनरल बॉडी मीटिंग बुलायी... और घोषणा कर दी कि ये वाला बंदर उनका ख़ास है... आज से उसकी ज़िम्मेदारियां बढ़ायी जाती है...

फिर क्या था... बंदर तो सांतवें आसमान पर था... अब तो पूरे न्यूजरूम पर उसका कब्ज़ा था... जो पुराने बंदर थे.. वो भी सब सटक लिए... करें भी तो क्या करें.. जब मदारी ने ही कमान दे दी तो भला वो क्या करते...

खैर बंदर अपने मनमुताबिक चैनल को चलाने लगा... जिन बंदरों से उसे खुन्नस थी... सबको उसने शंट कर दिया... बेचारे कामकाज़ी बंदर करते भी क्या... उन्हें तो बस काम करना आता था... सो चुपचाप काम करते रहे... लेकिन ये भी तो पाप का घड़ा कभी ना कभी तो भरना ही था... जिस मदारी के दम पर बंदर कूद रहा था... उस बंदर को ये मालूम ही नहीं था... कि मदारी किसी का सगा नहीं है... फिर वही हुआ जिसका डर था... मदारी खबरों से तो नहीं लेकिन बंदरों से खेलना तो जानता ही था... मदारी को इस खेल में मज़ा आने लगा... उसने सोचा चैनल जाए भाड़ में... ये नया खेल तो बहुते मज़ेदार है... दूसरे जो कामकाज़ी बंदर थे वो समझ चुके थे.. कि उन्हें अब फौरन नयी जगह ढूंढ लेनी चाहिए.. वो समझ चुके थे.. कि मदारी के वश में सिर्फ बंदरों के साथ खेलना है... चैनल चलाना नहीं.. बेचारा पुराना बंदर तो कहीं का ना रहा... ना तो उसे मदारी ही भाव दे रहा था... और ना ही उससे प्रताड़ित दूसरे बंदर ही उसे अपना मान रहे थे... खैर भगवान तो हर किसी की सुनते हैं... हो सकता है इतनी गलतियां करने के बाद बंदर को सदबुद्धि आ जाए... वैसे डांडिया न्यूज अभी भी डंडे के दम पर चल रहा है... मदारी सिर्फ अपने घर में ही चैनल को देखकर खुश हो रहा है... मदारी के दिमाग में एक नया ख्याल आया है... उसने फौरन जमूरे को आवाज़ लगायी...

जमूरे...
हां उस्ताद

अरे इ चैनल चैनल खेलना तो बड़ा मज़ेदार है रे
हां उस्ताद.. मैंने पहले ही तो कहा था...

सुन जमूरे.. क्यों ना एक दो चैनल और खोल लें...
वाह उस्ताद..दिमाग हो तो आप जैसा... क्या दूर की कौड़ी सोची है आपने..

ठीक है जमूरे...
अख़बार में छपवा दे.. डांडिया न्यूज एक नया चैनल खोल रहा है... उसके लिए चपरासी से लेकर एडिटर इन चीफ चाहिए...

हो जाएगा उस्ताद...

18 comments:

  1. kya baat hai sir kya khoob racha hai....

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  2. वाह.. क्या बात है आलोक भाई... गोली भी मार दी और कत्ल का इल्ज़ाम भी नहीं... बहुत शानदार... बहुत बढ़िया...

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  3. बहुत ही सही सर....मज़ा आ गया पढ़ कर....क्या खूब लिखा है....और वो भी सच.

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  4. इसे कहते हैं जोर का झटका.. धीरे से...
    सत्य वजन...........
    आपने चुपचाप ही सब कह दिया..
    जबर्दस्त...

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  6. बस ..ये ध्यान रखना है कि इस बंदर को कोई और मदारी गोद ना ले,,,नहीं तो फिर ये अपना खेल दिखाने लगेगा....

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  7. Hello Alok sir, kaise ho, bhagwan se dua hai ki achhe hi raho Sir yeh kahani padhkar kar aisa laga ki yeh kahani kabhie-kabhie mere sapne mein bhi aati thi par yeh soch kar serious nahin hota tha ki sapna hi to hai yeh kon sa sach mein badalne wala hai,jab aapki kahani padhi to aisa laga ki sapne sachhai mein bhi badal sakte hai

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  9. कहानी में ट्विस्ट... सोचो अगर मदारी का बाप भी बंदरों को गुलाटी मारना सिखाने के लिए न्यूज़रूम में आए... मीटिंग ले...

    सोचो मदारी और उसके बाप में ही न बनती हो

    सोचो मदारी के चेलों को देखकर उसके बाप को ईर्श्या होने लगे

    सोचे जमूरे को मदारी और उसके बाप में से किसी एक को चुनना हो

    सोचो न्यूज़रूम में न्यूज़ के कितने बाप होंगे, जमूरा, मदारी और मदारी का बाप... सोचो अगर मदारी का बाप अपने किसी दोस्त से न्यूज़रूम पर सलाह ले तो वो भी न्यूज़रूम का बाप ही होगा...

    और अब ये सोचो बेचारे बंदर कितनी बार मरेंगे...

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  10. क्या खूब लिखा है……………।जोरदार कटाक्ष्।

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  11. bahut acha lika hai aapnae... raz ki batae likhi aur khat khula rahnae diyaa...
    sanjay bisht

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  12. मदारी का डमरु अभी भी बज रहा है...बस यही है कि पुराना बंदर बाप बन गया है...और उससे भी बूढे बंदरों को मिल गयी है कमान...सबसे बड़ी बात तो ये है कि बाप बनने वाले बंदर ने अपने चाचा को भी मदारी के यहां दिला दी नौकरी...और बेचारा चाचा बंदरों का खेल ही ना जाने...तो क्या करता बस मुंह में गुटका खाकर हूं हूं करने लगा...बेचारे ट्रेनी बंदर नाचने लगे...और इतनी ही नहीं मदारी को उसकी हूं हूं ही पसंद आने लगी और उसे भी बना दिया बंदरों का मुखिया नं.2

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  13. डांडिया है डांडिया
    बंदरों का डांडिया
    एक मदारी झूमता
    हर ओर जमूरा घूमता
    हर आदमी है कांडिया
    डांडिया है डांडिया
    गैंडे, उल्लू, और सियार
    बैल और फ्रॉडिया
    डांडिया है डांडिया

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  14. shayad ye padne ke bad bandro ko apni aukad pata chale...alok bhai logo ko sach batana zaruri tha

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  15. vidhu shekhar upadhyay10:47 pm, June 14, 2012

    too much realistic.


    vidhu shekhar upadhyay.

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  16. vidhu shekhar upadhyay10:47 pm, June 14, 2012

    too much realistic.


    vidhu shekhar upadhyay.

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  17. hahaha....i can assume which channel you are pointing...!

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